Thursday 2 October 2014

सेब खाएं और मोटापा को कहें बाय-बाय

सेब खाएं और मोटापा को कहें बाय-बाय

 

स्वस्थ जीवनशैली चाहते हैं, तो हर रोज एक सेब खाना शुरू करें। सेब में पाए जाने वाले विशेष तत्व मोटापे से संबंधित बीमारियों को दूर रखने में मददगार हो सकते हैं। वाशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिट के वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि ग्रैनी स्मिथ प्रजाति के सेब में गैर पाचक तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं।
शोधकर्ता ग्युलिना नोरात्तो ने कहा कि हमने पाया कि ग्रैनी स्मिथ सेब में पाए जाने वाले गैर पाचक तत्वों ने वास्तव में मोटे चूहों के मल जीवाणुओं के अनुपात को परिवर्तित कर दुबले चूहों के समान कर दिया। ग्रैनी सेब में पाए जाने वाले गैर पाचक तत्वों की प्रचूर मात्रा शरीर में अनुकूल जीवाणुओं की उत्पत्ति के लिए फायदेमंद होती है। साथ ही इससे आहार फाइबर और पोलीफेनॉल तथा कार्बोहाइड्रेट की मात्रा को संतुलित रखने में मदद मिलती है। नोरात्तो ने कहा कि कोलोन में स्वास्थ्यवर्धक जीवाणुओं का संतुलन पाचन की प्रक्रिया को स्थिर करता है, जो मोटापे और सूजन तथा संतुष्टि या तृप्ति की भावना के लिए जिम्मेदार होती है। यह खोज मोटापे से जुड़ी बीमारियों जैसे मधुमेह आदि से निजात दिलाने में मददगार साबित हो सकती है। यह अध्ययन जर्नल फूड केमिट्री में प्रकाशित हुई है मोटापा किसी भी सूरते हाल में किसी को भी अच्छा नहीं लगता है। कहा जाता है कि मोटापा कई बीमारियों की जड़ है। मोटापा बहुत से रोगों से जुड़ा हुआ है, जैसे हृदय रोग, मधुमेह, निद्रा कालीन श्वास समस्या, कई प्रकार के कैंसर और ऑस्टेयोआर्थ्राइटिस आदि है। मोटापे के प्रमुख्य कारण अत्यधिक कैलोरी वाले खाद्य का सेवन, शारीरिक गतिविधियों का अभाव, आनुवांशिकी का मिश्रण हो सकता है। हालांकि मात्र आनुवांशिक, चिकित्सकीय या मानसिक रोग के कारण बहुत ही कम संख्या में पाये जाते हैं। यह कई बीमारियों की जड़ है लिहाजा इससे बचा जाना चाहिए।
शाकाहारी खाने में चर्बी कम होती है जिससे मोटापा नहीं होता है या फिर कम होता चला जाता है। अध्‍ययन बताते हैं कि ज्‍यादा मांसाहार के सेवन का असर भी मोटापे पर पड़ता है। यदि आप मांसाहार ज्यादा करते हैं तो एकदम से इसें बंद करना आसान नहीं होता। जब तक आप पूर्ण रूप से इसे न छोड़ पाएं, तब तक मांसाहार और शाकाहार का सेवन जारी रखें और धीरे-धीरे शाकाहार को पूरी तरह अपनाएं। भोजन में शाक-सब्जी, कच्चा सलाद और कच्ची हरी शाक-सब्जी की मात्रा अधिक और चपाती, चावल व आलू की मात्रा कम रखना चाहिए।
दही खाने से भी वजन कम हो सकता है। ज्यादा दही खाने वालों का वजन तेजी से घटता है या कम बढ़ता है। दही में कैल्शियम और प्रोटीन फैट को कम करने में सहायक होता है, लेकिन दही या तो टोंड या स्किम्ड मिल्क की हो या फिर दूध की मलाई उतार कर जमाएं। दही रात को न खाएं। सुबह या लंच में इसे लेना बेहतर रहता है।
तली हुई चीजे जैसे आलू चिप्‍स, कुकीज का कम से कम उपयोग करें। फास्‍ट फूड जैसे बर्गर, पिज्‍जा की जगह सलाद, फ्रूट जैसी स्‍वस्‍थ चीजों का चुनाव करें। खाने में फाइबर युक्‍त भोजन लें। यह आपके शरीर को कोलेस्‍ट्रोल से बचाता है और उसे आपके शरीर से बाहर करता है। फाइबरयुक्‍त भोजन आपके शरीर की अतिरिक्त कैलोरी को भी बर्न करता है। रेशेदार चीजों के सेवन से आपका शरीर सेहतमंद रहता है और अनावश्यक चर्बी नहीं होती है।
मोटापा कम करने के लिए या फिर उससे बचने के लिए भोजन के अन्त में पानी पीना उचित नहीं, बल्कि एक-डेढ़ घंटे बाद ही पानी पीना चाहिए। इससे पेट और कमर पर मोटापा नहीं चढ़ता, बल्कि मोटापा हो भी तो कम हो जाता है।
खाना भूख से थोड़ा कम ही लेना चाहिए। इससे पाचन भी ठीक होता है और पेट बड़ा नहीं होता। पेट में गैस नहीं बने इसका खयाल रखना चाहिए। गैस के तनाव से तनकर पेट बड़ा होने लगता है। दोनो समय शौच के लिए अवश्य जाना चाहिए।
मोटापा कम करने के लिए व्यायाम का भी सहारा लिया जा सकता है। तैरना आता है तो इससे अच्छी एक्सरसाइज दूसरी नहीं। नहीं आता है तो सुबह की सैर के लिए रोज निकल जाए।
अंत में सबसे अहम बात। यह बात हमेशा हमें ध्यान रखनी होगी कि हम अपने रोजाना आहार के जरिए कैलोरी ले रहे है उसे उसी दिन बर्न कर दे यानी खर्च कर दे। अगर रोजाना ली जाने वाली कैलोरी और खर्च होनेवाली कैलोरी में अंतर होता गया तो यह डिपोजिट फैट ही धीरे-धीरे मोटापे का रूप ले लेता है। यानी इसके लिए हम यह मालूम होना चाहिए कि किस चीज में कितनी कैलोरी होती है। अगर उसमें कैलोरी ज्यादा है तो जाहिर सी बात है कि उसे बर्न करने के लिए मेहनत भी खूब करनी होगी।

 

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